*चांद भी क्या खूब है,*
*न सर पर घूंघट है,*
*न चेहरे पे बुरका,*
*कभी करवाचौथ का हो गया,*
*तो कभी ईद का,*
*तो कभी ग्रहण का*
*अगर*
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*चांद भी क्या खूब है,*
*न सर पर घूंघट है,*
*न चेहरे पे बुरका,*
*कभी करवाचौथ का हो गया,*
*तो कभी ईद का,*
*तो कभी ग्रहण का*
*अगर*
एक बार रात के वक्त रास्ते से अकेले ही गुज़र रही थी। 😟😟
!
!
!
!
!
अचानक
गुण्डे से दिखने वाले दो लड़कों ने रास्ता रोका 😳😳
छेड़छाड़ के लहजे में बोले -----
इतनी रात को और वो भी अकेले; डर नहीं लगता ।
।
🐢
*"... मकान*
*सारे कच्चे थे"*
*- हरिवंश राय बच्चन*
گهر سڀ ڪچا هئا ----- هريونش راءِ بچن
मकान चाहे
कच्चे थे
लेकिन रिश्ते
सारे सच्चे थे …
شايد گهر سڀ ڪچا هئا
پر رشتا سڀ سچا هئا
चारपाई पर
बैठते थे
पास पास
रहते थे …
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Lessons Learnt
1. Take risks
2. Embrace changes
3. If you refuse to change with time, you might perish
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